शनिवार, 25 दिसंबर 2010

phool sa vyktitv

फूल सा व्यक्तित्व

फूल  सा व्यक्तित्व है उसका
करता है आकर्षित सबको
 एक शूल चुबता है तुमको
तो क्या खुशबू खो देगा  ?
फूल तो आखिर फूल रहे गा
शीश चढाओ या ठुकराओ
कोमलता में सर्वोपरि है
चाहे कितने भी शूल गिनाओ
तुम चाहे इनका करो ना सिंचन
यह तो महक फैलाएगा
कर लो कितना भी  जीवन मंथन
ऐसा सौरभ कही ना मिल पायेगा