याचना
सौगंध तुम्हे सच कहना मुझसे
बात एक भी ना मन में रखना
जीवन की ढलती बेला में
कब तक पड़ेगा यूं सहना
मेरी अनसोयी रातों ने
तुमको भी तो जगाया होगा
मेरे दिल की आहों ने
तुम को भी तो तड़पाया होगा
अंतस में उमड़े दुःख के बादल
तुम को भी नम करते होंगे
नयनों से छलके पानी की गागर
कोरों को गीला करते होंगे
शून्य व्योम में भटक रहा हूँ
ना रह कर मौन निहारो मुझको
अनहत स्वर का भेद ना जानू
कुछ तो कहो, पुकारो मुझको