गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

muskaan meri samptti

मुस्कान मेरी सम्पत्ति

सूरज का उगना
चंदा का छुपना
तारों का टिमटिमाना
ऋतुओं का चक्र
धरती का यूं घूमना
और घुमाना
नन्हे बीज का अंकुरित होना
सागर का नन्ही बूंदे बन कर
यूं उड़ जाना
बादल  बन कर धरती पर फिर बरस जाना
क्या यह सब प्रक्रिया है ?
एक रहस्य अनदेखा, अनबोला
जिसको हर मानव ने झेला
पाला पोसा और महसूसा
किया स्वीकार हर एक अजूबा
है असंभव बदलना स्वभाव नियति का
पर है स्वयं दाता वह मुस्कान अपनी का