मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

tum aaye to jeevan badla

तुम आए तो जीवन बदला

एक आग धधकती थी सीने में
ना शोला बनी , ना बुझी  कभी
एक चाह सी उठती थी मन में
ना दफ़न हुई,  ना दर्द बनी
एक नाम  उभरता था लब पर
जो सुना नहीं  , ना कहा कभी
अहसासों का दरिया चुप था 
अनुभव की लहर थी दबी दबी 
जी तो रहे थे ,पर जिन्दा कब थे 
साँसों की गति थी  थमी थमी
तुम आये तो जीवन बदला
पतझर थी, जो बहार बनी