तुम आए तो जीवन बदला
एक आग धधकती थी सीने में
ना शोला बनी , ना बुझी कभी
एक चाह सी उठती थी मन में
ना दफ़न हुई, ना दर्द बनी
एक नाम उभरता था लब पर
जो सुना नहीं , ना कहा कभी
अहसासों का दरिया चुप था
अनुभव की लहर थी दबी दबी
जी तो रहे थे ,पर जिन्दा कब थे
साँसों की गति थी थमी थमी
तुम आये तो जीवन बदला
पतझर थी, जो बहार बनी