गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

एक आभास !!



एक आभास !!
जिस का प्रकाश
नयनों के कोरो पर
पारा  बन कर
अटक  जाता है

एक आभास !!
जिस का एहसास
मन की देहरी पर
रंगोली बन कर
सज जाता है !!

एक आभास !!
जिस का विकास
जीवन की चौखट पर
जीवन बन कर
जड़ जाता है !!!

एक आभास !!
जिसका प्रवास
रात के उजालों में
छाया बन कर
घर कर जाता है

बर्फानी सर्द रातों में
गुस्सिली गर्म शामो में
तूफानी बरसातों में
अटल सा अड़ जाता है
एक आभास !
सिर्फ एक आभास !!!