एक टूटा हुआ सच
जिंदगी का सच बहुत कडवा है
इसलिए सपनो की चादर ओढ़े रहता हूँ
कल्पनायों में पीयूष पान करता हूँ
और दो चार क्षण जीने की कोशिश करता हूँ
सच है ख्यालो से पेट नहीं भरता
पीड़ा ख़तम नहीं होती
लेकिन दो चार क्षण भ्रम में जी लेने से
इतनी पहाड़ सी जिंदगी ख़तम नहीं होती
कुछ उत्साह बढ़ता है कि.....
शायद ................
सपनो मैं पायी ख़ुशी...........
सच जीवन का एक हिस्सा ही बन जाए
इसलिए मित्रो ! मैं स्वप्पन देखा करता हूँ
कभी खुली पलक और कभी बंद आँखों से
सब कहते है सच से मुख मोड़ता हूँ मैं...
लेकिन भोले लोग यह नहीं समझते कि
इस तरह मैं सच को जोड़ने की कोशिश करता हूँ
जिंदगी का सच बहुत कडवा है
इसलिए सपनो की चादर ओढ़े रहता हूँ
कल्पनायों में पीयूष पान करता हूँ
और दो चार क्षण जीने की कोशिश करता हूँ
सच है ख्यालो से पेट नहीं भरता
पीड़ा ख़तम नहीं होती
लेकिन दो चार क्षण भ्रम में जी लेने से
इतनी पहाड़ सी जिंदगी ख़तम नहीं होती
कुछ उत्साह बढ़ता है कि.....
शायद ................
सपनो मैं पायी ख़ुशी...........
सच जीवन का एक हिस्सा ही बन जाए
इसलिए मित्रो ! मैं स्वप्पन देखा करता हूँ
कभी खुली पलक और कभी बंद आँखों से
सब कहते है सच से मुख मोड़ता हूँ मैं...
लेकिन भोले लोग यह नहीं समझते कि
इस तरह मैं सच को जोड़ने की कोशिश करता हूँ