मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

जिन्दा हो क्या अभी?

जिन्दा हो क्या अभी?
बहुत दिनों बाद जब देखा एक परिचित को तो सहसा एक प्रशन कर बैठा कहो कैसे हो ? बोला परिचित हाँ !! जिन्दा हूँ अभी आश्चर्य हुआ मुझेजान कर कि जी रहा अभी तक ???आँखों के दमकते दीपक बुझ से रहे थे सूखे ओंठो को नम करने का प्रयत्न विफल हो रहा था लगता था कि जैसे प्यास से हलक सूखा जा रहा था ....पानी दिया तो दो घूँट भर कर बोला कोशिश तो बहुत की कि मर जाऊ लेकिन इक आस के शायद कभी भूले भटके एक आवाज़ मुझे बुला ले तो कही ऐसे ना हो कि मैं जवाब भी ना दे पाऊ..मुझे जिन्दा रखे थी...देखो मेरी श्वास अभी बाकी है ..और अब मेरा इंतज़ार ख़तम हुआ और ....................................