शनिवार, 31 दिसंबर 2011

वर्ष २०११

वर्ष २०११

बड़ा छकाया इस २०११ ने .......लेकिन जाते जाते वह सब खुशिया भी दे गया जिस को पाने के लिए दिन रात एक कर अथक प्रयास किया था ......
१८ वर्ष की तपस्या का परिणाम इसी वर्ष हासिल हुआ .....मेरी बड़ी बेटी का भविष्य पढाई की दृष्टि से निश्तित हुआ ......
खेल खेल में ऐसा झटका लगा कि घुटना ने मुहं मोड़ लिया .......घोर निराशा मिली ......लेकिन फिर इलाज़ का ऐसा क्रम शुरू हुआ और पता चला कि घुटने कि चोट तो एक बहाना बना इलाज़ तो उस बिमारी का हुआ जिसकी कभी सोच भी नहीं की जा सकती थी. ..........और आज साल का अंतिम दिन और मेरा इलाज़ भी पूरा हो गया और पुनह शारीरिक रूप से इतना स्वस्थ महसूस कर रही कि जैसे अपनी उम्र के बीस साल पीछे आ गयी हूँ.........
छोटे बच्चे जो शायद कभी बड़े ही ना होते ........क्योंकि छोटा अक्सर छोटा ही रहता है नासमझ.....जिम्मेवारियों से बहुत परे ..लेकिन आज वह सब बहुत ही समझ दार और जिम्मेवार बन चुके हैं... और उस पथ पर अग्रसर हो चुके है जिस पथ उनको ले  जाने के लिए प्रयत्नशील थी ...
मित्रों का पूरा सहयोग रहा .........जीवन का अभिन्न हिस्सा बने ....और इस कठिनाई के दौर में उनसे मिली प्रेरणा ने खुल  कर जीने की हिम्मत बढ़ाई. २०१० में अपने पिता जी के देहावसान के बाद अपने आप को बहुत अकेला महसूस करती थी और आश्रयहीन .....क्योंकि मेरे पिताजी ही मेरी प्रेरणा स्त्रोत थे......उनके जाने के बाद ऐसा लगने लगा था जैसे मेरे  प्राण भी मृत समान हो गये हैं ...लेकिन कुछ मित्रों से मिल कर उस कमी को पूरा होता महसूस किया ..........
पति का यकायक दफ्तर से पद त्याग .....और फिर बहुत जल्द अच्छे और वांछित दफ्तर में उच्च पद आसीन होना ...इसी वर्ष का योगदान है
मेरा अपने जीवन में करिअर की उंचाईयों को छूना  और फिर सहसा उन से अलग हो जाना ...........
बच्चों का अपने विद्यालय में प्रत्येक गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर भाग लेना और विजय श्री हासिल करना और फिर एक नये  आत्मविश्वास की आभा से आलोकित होना.....सब इसी वर्ष के परिणाम है .........................कुल मिला कर अनिश्चितायों से भरा एक सफल साल रहा जो जाते जाते हर क्षेत्र में सफलता प्रदान कर गया........ठाकुर जी का बहुत बहुत धन्यववाद ....