शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

aayaa Basant

आया बसंत

 फाल्गुनी बयार बही
अमराइयां नाच उठी
फूली सरसों,  केसर प्यारी
पुष्पित हो गई क्यारी क्यारी
धानी चूनर ओढ़  धरा ने
अभिनव छटा सर्वत्र फैला दी
कोयल ने गाया पीहू गीत
चकवा चकवी की जगी प्रीत
वन उपवन अलि गुंजो ने
गुंजारित कर दी नयी सीख
त्रिभुवन महका फिर सौरभ से
कहे उमंग बड़े गौरव से
हर पल्लव पर झूम रहा हूँ
कली कलिका को चूम रहा हूँ
छाया नव  उल्लास अनंत
झूमता  गाता महकाता इतराता
पुन: आया ऋतुराज बसंत