बुधवार, 19 जनवरी 2011

saath Tumhaara

साथ तुम्हारा

नहीं करते बात तो मत करो
जान तो नहीं निकल जायेगी
मुश्किल वक़्त है
उलझन में हूँ
जो मुसीबत आयी है
वह टल भी जायेगी
रहती है इच्छा हर पल रहो तुम साथ
मन का विश्वास और आस्था
जो पनपी है तुम्हारे  प्रति
बार बार देती है दिलासा और यकीं
कि दे कर दस्तकें  लौट जायेंगी
यह सब मुश्किलें
ना कर पाएंगी घर, जीवन में कभी
तुम जो चलो साथ मेरे तो
मंजिलें  भी हो जाएँ आसान
तुम जो रहो साथ मेरे तो
छू लू बढ़ के आसमान
साथ मिल जो जाए तुम्हारा बार एक
छोड़ जाऊ  धरती पर अपने  कदमो के निशां