मौन शब्द रागिनी
शब्दों की जब मौन रागिनी
चेतन में गुंजित होती है
भावो की अविरल धारा
जन-मन को सिंचित करती है
प्यार भरा मन का नंदनवन
कुसुमित हो मुस्काता है
मधु चंदा का सहज स्पर्श
स्नेह सुधा बरसाता है
तेज ताप सूरज का मद्धम
भाव ज्वार को करे नियंत्रित
तरु पल्लव शाखावालियों पर
नव कोंपल फूटे हो अंकुरित