मंगलवार, 4 जनवरी 2011

hansi

हंसी

गर हँसना निर्भर करता है किसी घटना पर
तो हंसी वाकई बिकती है बाजारों में
गर हँसना निर्भर करता है सम्मलेन पर
तो हंसी  वाकई मिलती है त्योहारों  पर
हंसी के बदले गर तुम्हे ना मिले हंसी
तो समझ लो तुम भी शामिल हो खरीदारों में
हँसना तो एक  आदत है जो शुमार हो जीवन में
हँसना  इबादत है जिसका एह्त्माद हो जन मन  में