रविवार, 30 जनवरी 2011

Aur Swappan so gye

 और स्वप्पन सो गए

सूखा मरुस्थल
चमकता सूरज
 तपती रेत !!!

फैली नागफनी
कंटीली झाड़िया
केक्टस  के फूल !!!!

मृग मरीचिका
प्यासा जीवन
कुम्हलाए स्वप्पन !!!!!