कुछ कहते कहते
सोचा चलो तुम से मिलते चले
अनेक बातें है मन में
कुछ कह दे, कुछ सुनते चले
हुई जब मुलाकात तुमसे
यूं चलते चलते
कहने को तो था कुछ बहुत
पर वक़्त ही कुछ ऐसा था
सकुचा गये तुम भी
सकुचा गये हम भी
कुछ कहते कहते
किस्से ही कुछ ऐसे थे
कि बेबाक ना होंगे कभी
फिर करके भरोसा
अपनी खुदाई पे
चुप रहे तुम भी
चुप रहे हम भी
कसक सहते सहते
सोचा चलो तुम से मिलते चले
अनेक बातें है मन में
कुछ कह दे, कुछ सुनते चले
हुई जब मुलाकात तुमसे
यूं चलते चलते
कहने को तो था कुछ बहुत
पर वक़्त ही कुछ ऐसा था
सकुचा गये तुम भी
सकुचा गये हम भी
कुछ कहते कहते
किस्से ही कुछ ऐसे थे
कि बेबाक ना होंगे कभी
फिर करके भरोसा
अपनी खुदाई पे
चुप रहे तुम भी
चुप रहे हम भी
कसक सहते सहते