शनिवार, 14 अगस्त 2010

Baarish aur aansoo

              बारिश और आंसू

सब्र का बाँध जब टूट जाता है
तब भावों का बहाव भी असयमित हो जाता है
लेखनी गीली धरती पर दम तोड़ देती  है
कल्पना भी थक हार साथ छोड़ देती है
ऐसे में बारिश का मौसम सुहाता है
क्योकि आँख से बहते आंसू कोई देख नहीं पाता है