तलाश
एक जीवन
जो जीवंत हुआ
उसके आने से
आज मृत हुआ
उसके जाने से
सन्नाटा है
खामोशी है
चहु और वीराना है
उजड़ा चमन
टूटा आशियाना है
क्यों आये तुम
जब दूर तुम्हे जाना था
अपने पन का प्रपंच क्यों
जब रहना ही बेगाना था
कोरे कागज़ पर
लिख कर
कुछ तदबीर तुमने
बदल ही डाली
हाथ की लकीर तुमने
ना लौट कर आयोगे
मालूम है हमको भी
ना जाने क्यों
तलाशते हैं
हम तुम को ही