तुम जो आ जाते एक बार
नयनों ने जो बुने थे सपने
दिल ने भी कर लिए थे अपने
हो जाते वह सब साकार
तुम जो आ जाते एक बार
विकल वेदना अब रोती है
अश्रू शंका के बोती है
प्रशन पूछती बारम्बार
क्यों ना आये तुम एक बार
दीप आशा का जल नहीं पाए
अवनि अम्बर मिल नहीं पाए
व्यर्थ रहेगा अब श्रिंगार
तुम ना आये बस एक बार