मंगलवार, 24 अगस्त 2010

Rone walon se

रोने वालों से

रोने से मिल जाती अगर मंजिल
तो आज एक दरिया आंसू का मेरा भी होता
रोने से कट जाता कठिन सफ़र यूं
तो शबनम के हर कतरे पे मेरे आंसू का निशां होता
यूं रोने से बदल जाता नसीबा अगर
रो- रो कर मैंने भी हाल बेहाल किया होता
ऐ रोने वाले! समझ ले तू मर्म रोने का
पछताए गा वर्ना कि सिवा रोने के कुछ और किया होता