रोने वालों से
रोने से मिल जाती अगर मंजिल
तो आज एक दरिया आंसू का मेरा भी होता
रोने से कट जाता कठिन सफ़र यूं
तो शबनम के हर कतरे पे मेरे आंसू का निशां होता
यूं रोने से बदल जाता नसीबा अगर
रो- रो कर मैंने भी हाल बेहाल किया होता
ऐ रोने वाले! समझ ले तू मर्म रोने का
पछताए गा वर्ना कि सिवा रोने के कुछ और किया होता