शनिवार, 21 अगस्त 2010

Muskuraahat

मुस्कराहट

पूछा हम ने एक दिन मुस्कराहट से
कहाँ रहती हो ?
आंधी की तरह आती हो
तूफ़ान की तरह  चली जाती हो
एक झलक दिखला कर गुम हो जाती हो!
मुस्कुरा कर बोली यूं
सीप के मोती में
पूनम की ज्योति में
पवन की ताल में
सागर उत्ताल में
जिसमे भी निश्छलता पाओगी
उसकी मुस्कराहट में मुझे
दमकता हुआ पाओगी