चलो फिर हो जाएँ अजनबी
क्यों पकड़ने की कोशिश करते हैं
हाथ पानी को
जानते हैं नहीं है वोह सत्य
फिर भी करते हैं वोह यतन
करने को यथार्थ एक झूठी कहानी को
तुम ना थे कभी अपने
और ना ही होगे
फिर भी क्यों दोहराते हैं बात पुरानी को
चलो फिर हो जाएँ अजनबी
और देखें कुछ इस तरह
एक दूजे को , जैसे देखे कोई दरिया
अपनी मौजों की रवानी को