काम का काम है पेंडिंग होना
दिन भर क्यों है काम का रोना
काम का काम है पेंडिंग होना
यूं कब तक श्रम करे कोई
यूं कब तक व्यस्त रहे कोई
हरी की कमल नाभ से लम्बे
कैसे काम को ख़तम करे कोई
काम का स्वामी काम देव
जिसको संहारे महादेव
काम का प्याला पी ले जो
भूले सारे जग के भेद
ना दिनमें चैन ना रात में निद्रा
धारण करता मन व्याकुल मुद्रा
प्रयतन करने का काम नियंत्रण
विफल हुआ जाता मानव प्रण
साकाम और निष्काम का भेद
जब करे अंतर्मन तो मिटे क्लेश
इस काम और उस काम का अंतर
जो कर पाए वह सिद्ध योगी वेश
काम गलत तो हुए नाकाम
काम सही तो कामयाब
महिमा जिस की गाये हरी, राम
जो नर समझे वह हुआ नायाब