एक व्यक्तित्व
एक व्यक्तित्व
उजला-उजला सा
रहस्य सरीखा
खुलता-खुलता सा
दिन चढ़ता तो ,दिनकर जैसा
तेज, प्रतापी, प्रबलकर वैसा
है उन्नत भाल
भुज विशाल
तुरग चाल
स्वछंद मुखर
मुस्कान अधर
दिन भर रहता ,बिलकुल व्यस्त
शाम ढले , सूर्य होता अस्त
तो बन जाता बिलकुल चंदा सा
मृदु कोमल ठंडा ठंडा सा
उसकी कंठ मिठास
देती दिलासा
और विश्वास
वह कल भी था , आज भी है
और कल भी रहेगा
मेरे आस-पास !!!!!!
एक व्यक्तित्व