गुरुवार, 26 अगस्त 2010

ek vyktitv

एक व्यक्तित्व

एक व्यक्तित्व
  उजला-उजला सा
     रहस्य सरीखा
      खुलता-खुलता  सा
दिन चढ़ता तो ,दिनकर जैसा
तेज,  प्रतापी, प्रबलकर वैसा
है उन्नत भाल
भुज विशाल
तुरग चाल
स्वछंद मुखर
मुस्कान अधर
दिन भर रहता ,बिलकुल व्यस्त
शाम ढले , सूर्य होता अस्त
तो बन जाता बिलकुल  चंदा सा
मृदु कोमल ठंडा ठंडा सा
उसकी कंठ मिठास
देती दिलासा
और विश्वास
वह कल भी था , आज भी है
और कल भी रहेगा
मेरे आस-पास !!!!!!
एक व्यक्तित्व