बतलाये कौन?
बेचैन हैं उनसे मिलने को
यह उनको जा बतलाये कौन
एक दर्द छिपा है सीने में
यह उनको जा दिखलाए कौन ?
मेरे शहर के लोगों का अब
तारुफ़ हैं मेरी तन्हाई से
ना करदूं सिजदा बेबस हो कर
वाकिफ है मेरी रुसवाई से
एक कसक सी उठती है सीने मे
अब उनको जा समझाए कौन?
समझ दीवाना छोड़ दिया है
मेरे शहर के लोगो ने
उल्फत में भी जी लेता हूँ
मान लिया है लोगो ने
अब सुर्ख आँखों के सबब को
पूछे कौन ,बतलाये कौन ?