Srijan
शनिवार, 28 अगस्त 2010
Udaasi Ki Fitrat
उदासी की फितरत
उदासी कर गयी हर वर्क पर यूं दस्तखत
बहार सी रूह भी पतझर बन गयी यारो
ख़ुशी ना दर कभी आयी मेहमान बन कर भी
रस्म-ए-मेहमानवाजी भी बिसर गयी यारो
ना करो अब दवा इस मर्ज़ उदासी का
उदासी की फितरत ही बन गयी यारो
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