याद तुम्हारी
शाम ढले जब नील गगन में
हौले से चंदा मुस्काये
याद तुम्हारी संग पवन के
बिना पंख उड़ कर आ जाए
मन के नभ में याद के बादल
उमड़ घुमड़ कर घिर आते हैं
जलकन जैसे नन्हे संस्मरण
शुष्क बदन को नम करते हैं
रात ढले जब तरन ताल पर
नवल चांदनी रस बरसाए
याद तुम्हारी निशिगंधा सी
मेरा मन आँगन महकाए