रविवार, 15 अगस्त 2010

yaad tumhari

याद तुम्हारी
शाम ढले जब नील गगन में
हौले से चंदा मुस्काये
याद तुम्हारी संग पवन के
बिना पंख उड़ कर आ जाए
मन के नभ में याद के बादल
उमड़ घुमड़ कर घिर आते हैं
जलकन जैसे नन्हे संस्मरण
शुष्क बदन को नम करते हैं
रात ढले जब तरन ताल पर
नवल चांदनी रस बरसाए
याद तुम्हारी निशिगंधा सी
मेरा मन आँगन महकाए