प्रेम की सांकल
मन के द्वारे
प्रेम की सांकल
तुम आओ तो खोलूँ
रजनी का आँचल लहराय
सारा आलम जब सो जाए
अमवा डाली डाल हिंडोल
संग तुम्हारे डोलूँ
वीणा स्वर मंजरियाँ चुप हैं
गीतों की धुन गुम-सुम गुम-सुम
प्रेम मजुषा आसव पी कर
मधुकर गुंजन बोलूँ
मृत अंतस हो जीवन सिंचित
संचारित नव चेतंताय
पूरण परम पद पा जायूं
एक बार तुम्हे हो लूं