रविवार, 15 अगस्त 2010

prem ki saankal

प्रेम की सांकल
मन के द्वारे
   प्रेम की सांकल
   तुम आओ तो खोलूँ
रजनी का आँचल लहराय
सारा आलम जब सो जाए
अमवा डाली डाल हिंडोल
संग तुम्हारे डोलूँ
वीणा स्वर मंजरियाँ चुप हैं
गीतों की धुन गुम-सुम गुम-सुम
प्रेम मजुषा आसव पी कर
मधुकर गुंजन बोलूँ
मृत अंतस हो जीवन सिंचित
संचारित नव चेतंताय
पूरण परम पद पा जायूं
एक बार तुम्हे हो लूं