पहला उत्सव यह सावन काहरियाली तीज
कहलाया हरियाली तीज
परवों की कुसुमाँवलीयों के
बो जाता है गहरे बीज
डार-डार पर पडतें झूले
सुमन सुवासित गंध से फूलें
लख प्रतिबिम्ब निरख यौवन के
कामदेव की भी छवि भूलें
खीर घेवर से सजती थाली
हरी चूड़ी की खनक निराली
हरी मेंहदी रच कर हाथों में
दे लाल-लाल हाथों से ताली
आओं मिल कर जश्न मनायं
इस उत्सव को स्वरण बनाये
प्राकित के अनुपम रंगों की
अनुपम शोभा में छिप जाएँ