कैसे तुम को पाऊँ
कैसे ढूँढू कहाँ जाऊ
तुम्ही कहो , तुम्हे कैसे पाऊ
ढूंढें मैंने स्थान वह सारे
जहां बीते जीवन संग तुम्हारे
सूना घर आँगन वन उपवन
सूना मन का है नंदनवन
कैसे अब तुम्हरी सुधि पाऊ
कैसे ढूँढू , कहाँ जाऊ
किस से करूंगी क्षमा-याचना
किसको मैं अब दूं निमंत्रण
कौन पूछेगा प्रश्न व्यथा के
कौन करेगा उत्साह वर्धन
कैसे इस मन को समझाऊँ
तुम्ही कहो तुम्हे कैसे पाऊँ
जब विदा किया पर साल था तुमने
लिया था वादा अंक मैं भर के
पुनह लौट कर जब भी आना
आना मेरे ही द्वारे सज के
विस्मित खड़ी आज चौराहे पर
हुई अचंभित किस दिशी जाऊं
कैसे ढूँढू कहाँ जाऊ
तुम्ही कहो तुम्हे कैसे पाऊँ