कुछ और प्रश्न !!
क्यों चंदा अम्बर में लटके , तारे सारे अधर में अटके
क्यों बादल धरती पर बरसे, स्वाति बूँद को चातक तरसे
क्यों पत्तें संग पवन के डोले , साग रवि के पंछी बोलें
क्यों भंवरा कलि के पीछे भागे , तारे सारी रात भर जागें
क्यों वृष्टि टप-टप बाणी बोलें , रवि कमलन दल आँखें खोलें
क्यों नदिया सागर से मिलने जाए ,क्यों सागर मस्त हिलोर डुलाए
क्यों पर्वत की तुहिन श्रृंखला , आसमान को छू कर आये
दूर क्षितिज में पर्वत पीछे अवनि अम्बर का मिलन सुहाए
क्यों मौसम अपने रूप बदल कर ,दे जाता देहरी पर दस्तक
क्यों छटा प्राकृत देख मनोहर, हो जाते हैं हम नत हैं हम नतमस्तक
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