मैं हूँ पानी
जब तक मैं पानी हूँ
बहते दरिया का
तभी तक है मुझ में रवानी
मिल जाता हूँ किसी बादल से
तो हूँ संगीत बारिश का
हो जाता रूहानी
मिलता हूँ हवा से
ले कर रूप शबनम का
भरता हूँ कली कलिका में
एक खुशबू सुहानी
गर मिल जाऊ किसी जौहड़ से
सड़ जाता हूँ खड़ा -खड़ा
तो काल ही
है मेरी निशानी
ठहरे जीवन
तो रुक जाएँ साँसें
बस चारों तरफ
मौत की छा जाये चुप्पी
और चलता है जीवन
उमंग देता है अंतस में
बस यही है मेरी कहानी