स्विष्टि
प्रबुद्ध , शुद्ध , दामिनी
सुशब्दों की स्वामिनी
सकल गुण सम्पना
समस्त जग भामिनी
उदारप्रिया वत्सली
सुकोलांगना कली
सत्गुनी तेजस्वनी
सर्व कामना भली
थके नहीं चले सदा
रुके नहीं बढे सदा
सफलता की कामना
हिये में धरी सदा
सृष्टि तो भरी पड़ी
स्विष्टि एक ही रही
हर कदम हर मोड़े पर
सवा लाख सी रही
प्रबुद्ध , शुद्ध , दामिनी
सुशब्दों की स्वामिनी
सकल गुण सम्पना
समस्त जग भामिनी
उदारप्रिया वत्सली
सुकोलांगना कली
सत्गुनी तेजस्वनी
सर्व कामना भली
थके नहीं चले सदा
रुके नहीं बढे सदा
सफलता की कामना
हिये में धरी सदा
सृष्टि तो भरी पड़ी
स्विष्टि एक ही रही
हर कदम हर मोड़े पर
सवा लाख सी रही